शक्तियाँ

अंतिम नवीनीकृत: 25-Jan-2014

विद्युत अधिनियम, 2003 के अनुसार आयोग की शक्तियाँ निम्न प्रकार हैः

आयोग की शक्तियाँ (विद्युत अधिनियम, 2003 की धारा 94)

(1) आयोग को, इस अधिनियम के अधीन किसी जाँच या कार्यवाही के प्रयोजनों के लिए वही शक्तियाँ होंगी, जैसाकि निम्नलिखित मामलों के सम्बन्ध में सिविल प्रक्रिया संहिता, 1908 (1908 का 5) के अधीन सिविल न्यायालय में निहित हैं, अर्थात –

  1. किसी व्यक्ति को समन करना और उपस्थिति को प्रवर्तित करना और शपथ पर उसकी परीक्षा करना।
  2. किसी दस्तावेज या साक्ष्य के रूप में पेश करने योग्य अन्य तात्विक वस्तु को प्रकट करना और प्रस्तुत करना।
  3. शपथ-पत्रों पर साक्ष्य ग्रहण करना।
  4. किसी लोक अभिलेख की अध्यपेक्षा करना।
  5. साक्षियों की परीक्षा के लिए कमीशन जारी करना।
  6. उसके विनिश्चय, निदेशों और आदेशों का पुनर्विलोकन करना।
  7. कोई अन्य मामला, जो विहित किया जाए।

(2) आयोग को आयोग के समक्ष किसी कार्यवाही, सुनवाई या मामले में ऐसा अन्तरिम आदेश पारित करने की शक्ति होगी, जैसाकि आयोग समुचित विचार करे।

(3) आयोग अपने समक्ष कार्यवाही में उपभोक्ताओं के हित का प्रतिनिधित्व करने के लिए किसी व्यक्ति को प्राधिकृत कर सकेगा, जिसे वह ठीक समझे।

उपरोक्त के अतिरिक्त, विद्युत अधिनियम, 2003 में आयोग को दी गई अन्य शक्तियां इस प्रकार हैः-

प्रवेश और अधिग्रहण की शक्ति (विद्युत अधिनियम, 2003 की धारा 96)- राजपत्रित अधिकारी की श्रेणी से अन्यून कोई अधिकारी, जो आयोग द्वारा इस निमित विशेष रूप से प्राधिकृत हो, किसी भवन या स्थान में प्रवेश कर सकेगा, जहाँ आयोग को यह विश्वास करने का कारण है कि जाचँ के विषय-वस्तु से सम्बन्धित कोई दस्तावेज पाया जा सकेगा और किसी ऐसे दस्तावेज का अभिग्रहण कर सकेगा या दण्ड प्रक्रिया संहिता, 1973 (1974 का 2) की धारा 100 के प्रावधानों के अध्यधीन किसी ऐसे दस्तावेज का अधिग्रहण कर सकेगा या उसके उद्धरण या प्रतिलिपि ले सकेगा, जहाँ तक वह प्रयोज्य हो।

कतिपय मामलों का अन्वेषण (विद्युत अधिनियम, 2003 की धारा 128)

(1) आयोग यह समाधान होने पर कि लाईसैंस धारी लाईसैंस की शर्तों में से किसी का अनुपालन करने में असफल रहा है या उत्पादन करने वाली कम्पनी या लाईसैंस धारी इस अधिनियम के प्रावधानों या इसके अधीन निर्मित नियमों या विनियमों में से किसी का अनुपालन करने में असफल रहा है, किसी समय लिखित में आदेश द्वारा किसी व्यक्ति (इस धारा में इसके बाद अन्वेषण प्राधिकारी के रूप में निर्दिष्ट) को, जो किसी उत्पादन करने वाली कम्पनी या लाईसैंस धारी के मामलों का अन्वेषण करने और उस आयोग के ऐसे अन्वेषण, अधिकरण द्वारा किए गए किसी अन्वेषण पर रिपोर्ट देने के लिए निर्देश दे सकेगाः

परन्तु अन्वेषण प्राधिकारी, जहाँ कहीं आवश्यक हो, इस धारा के अधीन किसी अन्वेषण में अपनी सहायता करने के प्रयोजन के लिए किसी लेखा सम्परीक्षक या किसी अन्य व्यक्ति को नियोजित कर सकेगा।

आयोग द्वारा निर्देश के अनुपालन के लिए दण्ड (विद्युत अधिनियम, 2003 की धारा 142)

यदि कोई परिवाद किसी व्यक्ति द्वारा आयोग के समक्ष दाखिल किया जाता है या यदि उस आयोग को समाधान हो जाता है कि किसी व्यक्ति ने इस अधिनियम या इसके अधीन निर्मित नियमावली या विनियम के किसी प्रावधान का या आयोग द्वारा जारी किये गये किसी निर्देश का उल्लंघन किया है, तो आयोग ऐसे व्यक्ति को मामले में सुनवाई का अवसर देने के बाद, लिखित आदेश द्वारा निर्देश दे सकेगा कि किसी अन्य शास्ति पर, जिसके लिए वह इस अधिनियम के अधीन दायी हो सकेगा, प्रतिकूल प्रभाव डाले बिना, ऐसा व्यक्ति शास्ति द्वारा, जो प्रत्येक उल्लंघन के लिए 1,00,000 रूपये से अधिक नहीं होगा और निरन्तर असफलता के मामले में अतिरिक्त शास्ति के साथ, जो प्रत्येक दिन के लिए 6,000 रूपये से अधिक हो सकेगा, जिसके दौरान प्रथम ऐसे निर्देश के उल्लंघन के साथ जारी रहेगा, का भुगतान करेगा।

आदेशों या निर्देशों के अनुपालन के लिए दण्ड (विद्युत अधिनियम 2003 की धारा 146)

जो कोई इस धारा के अधीन दिये गये किसी आदेश या निर्देश का ऐसे समय के भीतर, जैसाकि उक्त आदेश या निर्देश में विनिर्दिष्ट किया जाए, अनुपालन करने में असफल रहता है या इस अधिनियम के प्रावधानों या इसके अधीन निर्मित नियमों और विनियमों में से किसी का उल्लंघन करता है या उल्लंघन करने का प्रयास या दुष्प्रेरण करता है, वह ऐसी अवधि के कारावास से जो 3 मास तक का हो सकेगा या जुर्माने से, जो एक लाख रूपये तक का हो सकेगा, या दोनों से प्रत्येक अपराध के सम्बन्ध में और निरन्तर असफलता के मामले में अतिरिक्त जुर्माने से, जो प्रत्येक दिन के लिए, जिसके दौरान असफलता प्रथम ऐसे अपराध की दोषसिद्धि के बाद जारी रहती है, 5,000 रूपये तक हो सकेगा, दण्डनीय होगा :

परन्तु इस धारा में अन्तर्विष्ट कोई बात धारा 121 के अधीन जारी किए गए आदेशों, अनुदेशों या निर्देशों को लागू नहीं होगी।