वितरण लाइसेंसधारी के लिए कार्य के मानक :-
- विधुत अधिनियम 2003 (इसके बाद "अधिनियम" कहा जाता है) की धारा 57 प्रावधान करती है की उचित आयोग, लाइसेंसधारी और प्रभावित होने की सम्भावना वाले व्यक्तियों के साथ परामर्श के बाद, एक लाइसेंसधारी या लाइसेंसधारीयो के कार्य के मानक को निर्दिष्ठ कर सकता है।
- जिसके अनुपालन मैं हरियाणा विधुत विनियामक आयोग (इसके बाद "आयोग" कहा जाता है) ने हर्क (वितरण लाइसेंसधारी के लिए कार्य के मानक) विनियम, 2004 (इसके बाद "कार्य के मानक" कहा जाता है) को अधिसूचित किया है।
- कार्य के मानक विनियम प्रावधान करता है की लाइसेंसधारी अपने दायित्व के निर्वाहन में गुणवत्ता, निरंतरता और सेवाओं में विश्वनीयता के सन्दर्भ में सेवा के समग्र और न्यूनतम मानक को हासिल करेगा और बनाए रखेगा। सेवाओं के निर्वाहन की समय सीमा, गुणवत्ता, निरंतरता और विश्वनीयता के प्रतिकूल में गैर पालन के लिए मुआवजे के प्रावधानों को विनियम में निर्दिष्ट किया गया है। वितरण लाइसेंसधारी विनियम मे निर्दिष्ट कार्य के मानक हासिल ने करने और इसके निर्वाहन मे विफल होने की स्थिति में वितरण लाइसेंसधारी, विधुत अधिनियम, 2003 और विनियम मे निर्दिष्ट मुआवजे का भुगतान, इस तरह के मुआवजे का दावा करने वाले एक प्रभावित व्यक्ति को, करने के लिए उत्तरदायी होगा।
- अधिनियम की धारा 59 यह भी प्रावधान करती है कि उचित आयोग हर वर्ष में कम से कम एक बार उचित रूप और शैली में लाइसेंसधारी द्वारा कि गई सुचना के प्रकाशन कि व्यवस्था करेगा।
अधिनियम/विनियम के उपरोक्त प्रावधानों के अनुसरण में, आयोग दो वितरण लाइसेंसधारी उ.ह.बि.वि.नि और द.ह.बि.वि.नि द्वारा प्रदान कि गई सुचना को प्रकाशित करता है।